भारतीय संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया -

कानून निर्माण, किसी प्रस्ताव विधेयकों के रूप में संसद के सामने आने चाहिए।
               
                       विधेयक 
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  संविधान        साधारण        धन विधेयक    बजट 
 संशोधन         विधेयक       वित्त विधेयक
                            
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 सरकारी विधेयक                  गैर सरकारी/ निजी विधेयक
 (मंत्री के द्वारा विधेयक           (किसी मंत्री के अलावा कोई 
  प्रस्तुत किया जाता है)             भी सदस्य प्रस्तुत करता है।
                                     
चाहे वह सत्ता से हो या विपक्ष से सामान्य/साधारण विधेयक - किसी भी सदन
                                  में रखा जा सकता है। 
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    लोकसभा                         राज्यसभा
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     प्रथम वाचन                      प्रथम वाचन
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     द्वितीय वाचन                     द्वितीय वाचन
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     तृतीय वाचन                      तृतीय वाचन
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     लोकसभा अध्यक्ष द्वारा       सभापति द्वारा
        हस्ताक्षार                           हस्ताक्षर
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     राज्य सभा मंे पेश              राष्ट्रपति के 
                                               हस्ताक्षर से 
                                               कानून बनता है।

  1. जिस दिन विधेयक संसद में पेश किया जाता है उससे लगभग एक सप्ताह पूर्व विधि-मंत्रालय से विधेयक की दो प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त होती है।
  2. प्रथम वाचन के दौरान विधेयक को सदन में रखने की अनुमति प्राप्त करना हैं इसके द्वारा भारत सरकार के बजट में इसे प्रकाशित कर दिया जाता है।
  3. द्वितीय वाचन में मौलिक सिद्धांतों/उद्देश्यों पर चर्चा की जाती है। 

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प्रथम अवस्था                                         द्वितीय अवस्था
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प्रवर समिति     प्रवर    संयुक्त समिति       विधेयक परिचर्चा
                                   तथा मतदान 
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केवल एक                  दोनों सदनों में                     विधेयक पर 
सदन में                                                               संशोधन इसी चरण में 
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सामान्यतः 30               45 सदस्य             
सदस्य                            (30 + 15)
  • (4) तृतीय वाचन में चर्चा होकर विधेयक दूसरे सदन में जाता है।
  • (5) दूसरे सदन में भी वहीं प्रक्रिया दोहरायी जाती हैं। दूसरे सदन में विधेयक को अस्वीकृत कर दिये जाने या 
  •    संशोधन किये जाने जो स्वीकार्य न हों तो राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त अधिवेशन बुलाता है। संयुक्त अधिवेशन में बहुमत के आधार पर मामला तय होता है।
  • (6) जब कोई विधेयक दोनों सदनों द्वारा पास हो जाता है तो उस पर राष्ट्रपति की अनुमति लेना आवश्यक है। राष्ट्रपति उस विधेयक पर या तो अनुमति दे या अपने संदेश सहित विधेयक को संसद के पुनर्विचार के लिए वापस भी कर सकता है। संसद उस पर पुनर्विचार कर सकती है और नहीं भी। बिना संशोधन/संशोधन के बाद वह विधेयक राष्ट्रपति के पास दोबारा जाता है और तब राष्ट्रपति को उस पर अपनी अनुमति देना आवश्यक हो जाता है। 

धन विधेयक -

सामान्यतः आय-व्यय से सम्बंधित सभी विधेयक धन विधेयक कहलाते हैं संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा दी गयी है।
यदि -
  1. कर लगाना, कम करना या बढ़ाना या उसमें कोई परिवर्तन करना।
  2. भारत की संचित निधि या आकस्मिक निधि में कुछ धन डालना या निकालना हों। 
  3. भारत की संचित निधि में से किसी व्यय के संबंध में धन दिया जाना।
  4. भारत की जमापूँजी में से किसी भी व्यय के लिए दिए जाने की घोषणा।
  5. धन की आय-व्यय के प्रति अन्य किसी प्रकार का मामला हों।

  • कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इस पर लोकसभा अध्यक्ष का धन विधेयक केवल लोकसभा में पेष किया जाता है।
  • राज्य सभा धन विधेयक को न तो अस्वीकार कर सकती है और न ही कोई संशोधन कर सकती है।
  • राज्य सभा धन विधेयक को 14 दिन के अन्दर लोकसभा को वापस भेज देती है यदि राज्य सभा 14 दिन के भीतर नहीं लौटाती है तो उसे दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जायगा।


धन विधेयक और वित्त विधेयक -
  • सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते है लेकिन सभी धन विधेयक वित्त विधेयक होते है।
  • साधारण विधेयक सामान्य बहुमत से पारित होता है, किन्तु संविधान संशोधन विधेयक के लिए विविध प्रक्रियायें अपनायी जाती है। 
  • साधारण विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए भेज सकता है। किन्तु संविधान संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य है। 
  • साधारण विधेयक में संयुक्त बैठक का प्रावधान है जबकि संविधान विधेयक के लिए नहीं है।

      धन विधेयक 
  1. अनुच्छेद 110 (1) से संबंधित मामलों को रखता है।
  2. प्रत्येक धन विधेयक वित्त विधेयक होगा।
  3. राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक।
  4. सदन में पारित करने की विशेष प्रक्रिया
  5. सर्वप्रथम लोकसभा में पेश होता है।
  6. आवश्यक है कि सरकारी विधेयक हो।
  7. राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक तथा पुनर्विचार के लिए वापस नहीं भेज सकता।
  8. संयुक्त बैठक की आवश्यकता नहीं। 
          वित्त विधेयक 
  1. अनुच्छेद 117 में वित्त विधेयक से संबंधित उपबंध पाया जाता है।
  2. प्रत्येक विधेयक धन विधेयक नहीं होगा।
  3. इसकी आवश्यकता है।
  4. सदन में साधारण प्रक्रिया से पारित।
  5. किसी भी सदन में पेश।
  6. सरकारी और गैर सरकारी दोनों।
  7. पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकते है।
  8. संयुक्त बैठक का प्रावधान।