प्रादेशिक निर्वाचन आयुक्त -(Regional Election Commissioner)

  • 1952 के चुनावों के दौरान 6 माह के लिए दो प्रादेशिक निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गयी थी। अनुच्छेद 324 (4)।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त से परामर्श करके राष्ट्रपति उसकी सहायता के लिए कुछ प्रादेशिक निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है।

निर्वाचन आयोग के कार्य और कत्र्तव्य -

  1. संविधान के अनुसार संसद तथा राज्य विधान मण्डलों के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचन कराने का कर्तव्य निर्वाचन आयोग का है।
  2. संसद द्वारा परिसीमन आयोग अधिनियम 1952 का गठन किया गया जिसमें यह प्रावधान किया गया कि प्रत्येक 10 वर्ष पश्चात होने वाली जनगणना के पश्चात निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जायेगा। इस कार्य को करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है। जिसके अध्यक्ष मुख्य निर्वाचन आयुक्त होते है। अब तक 1952, 1961, 1973 तथा 2002 में 4 बार परिसीमन आयोग का गठन किया गया है।
  3. निर्वाचन आयोग प्रत्येक लोकसभा तथा विधानसभा के प्रत्येक आम चुनाव या मध्यावधि चुनाव के पूर्व तैयार की गयी निर्वाचन नामावली के आधार पर चुनाव सम्पन्न करवाता है। 

तैयार निर्वाचक नामावली में -

  1. वह भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो। (पहले यह आयु 21 वर्ष थी किन्तु 61वें संविधान संशोधन 1969 से 18 वर्ष हो गयी)
  2. वह भारतीय नागरिक जो संविधान या समुचित विधान मण्डल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, अपराधी, या अवैध आचरण के आधार पर अयोग्य न घोषित किया गया हों।

राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना -

  • जन प्रतिनिधित्व संशोधन अधिनियम, 1988 के अनुसार, राजनीति पार्टियों के लिए कुछ शर्तें लागू की गयी थी।
  • दिसम्बर 2000 में चुनाव आयोग द्वारा जनप्रतिनिधित्व संशोधन अधिनियम, 1988 में कुछ परिवर्तन किए गए हैं

  1. राष्ट्रीय स्तर के दल का दर्जा प्राप्त करने संबंधित राजनीतिक दल को लोकसभा चुनाव अथवा विधान सभा चुनावों में किन्हीं चार अथवा अधिक राज्यों में कुल डाले गये वैध मतों के 6 प्रतिशत मत प्राप्त करने के साथ ही किसी राज्य अथवा राज्यों में लोक सभा की कम से कम 4 सीटें जीतनी होंगी। अथवा लोकसभा में उसे कम से कम 2 प्रतिशत सीटें (543 में से कम से कम 11 सीटें) कम से कम तीन राज्यों से जीतनी होगी।
  2. राज्य स्तर पर लोक सभा अथवा राज्य सभा के डाले गये कुल वैध मतों के 6ः मत प्राप्त करने के साथ ही राज्य विधान सभा में कम से कम तीन सीटंे जीतना आवश्यक है।
  3. निर्वाचन आयोग संसद सदस्यों की अयोग्यता के प्रश्न पर राष्ट्रपति तथा राज्य विधान मण्डल के सदस्यों की अयोग्यता के प्रश्न पर संबद्ध राज्य के राज्यपाल को सलाह देता है।
  4. निर्वाचन आयोग का कार्य चुनाव का संचालन करना है किन्तु निर्वाचन की तारीख नियत करने का काम सरकार का है।
  5. संविधान में पंचायतों और नगर निकायों के निर्वाचन के लिए अलग से उपबंध है।

तारकुण्डे समिति -

  • महाराष्ट्र के भूतपूर्व न्यायधीश वी. एम. तारकुण्डे की अध्यक्षता में 1980 में एक समिति का गठन किया गया था। यह “सिटिजन्स फाॅर डेमोक्रेसी“ नामक संगठन की ओर से किया गया।
  • जिसकी कुछ सिफारिशों को सरकार द्वारा मान लिया गया। जिसमें मताधिकार आयु 18 वर्ष, राज्यों में निर्वाचन आयोगों की स्थापना संघीय निर्वाचन आयोग में सदस्यों की वृद्धि।