संसद सत्र -
संसद के प्रथम अधिवेशन और उसके सत्रावसान य विघटन के बीच की अवधि है। सदन की बैठक विघटन, सत्रावसान, स्थगन द्वारा समाप्त की जा सकती है।
सत्रावसान (Prorogation) -
इसका अर्थ है संसद के किसी विशेष सत्र को समाप्त करना। इसके परिणाम स्वरूप लोकसभा में लम्बित विधेयक या कार्य समाप्त नहीं होते है।
स्थगन (Adjournment) -
संसद की बैठक को समाप्त करता है। स्थगन सदन का कार्य हे इसका प्रयोग स्पीकर करता है। इससे सदन में विचाराधीन अपूर्ण मामलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
विघटन (Dissolution) -
- विघटन सदन की कलावधि को समाप्त कर देता है। जिसके बाद नयी लोक सभा के निर्माण के लिए निर्वाचन आवश्यक हो जाता है। लोकसभा के विघटन की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। विघटन होने पर -
1. राज्य सभा में लम्बित विधेयक जिसको लोक सभा ने पारित नहीं किया है लोक सभा के विघटन पर समाप्त नहीं होता है।
2. लोक सभा में लम्बित विधेयक समाप्त हो जाता है।
3. लोक सभा से पारित विधेयक किन्तु लोक सभा में लम्बित विधेयक लुप्त हो जाता है, जब तक कि इसे दोनों सदनों की संयुक्त बैठक करने की राष्ट्रपति की घोषणा द्वारा बचा नहीं लिया जाता है।
संयुक्त अधिवेशन -
संविधान के अनुच्छेद 108 में संसद के संयुक्त अधिवेशन की व्यवस्था की गई है। यह अधिवेशन राष्ट्रपति द्वारा तीन स्थितियों में बुलाया जा सकता है।
1. विधेयक एक सदन से पारित होने के बाद दूसरे सदन में जाता है। तो यदि दूसरे सदन द्वारा विधेयक अस्वीकार कर दिया गया है।
2. पहले सदन से विधेयक दूसरे सदन द्वारा किये गये संशोधनों से पहला सदन सहमत न हो।
3. दूसरे सदन को विधेयक प्राप्त होने की तारीख से उसके द्वारा विधेयक पारित किये बिना 6 मास से अधिक बीत गये है।
संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोक सभा अध्यक्ष करता है।
संयुक्त अधिवेशन में विधेयक के भाग्य का फेसला दोनों सदनों के समस्त उपस्थित और मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के बहुमत से होता है।
लोक सभा अध्यक्ष - speaker
संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा स्वयं अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का निर्वाचन करती है।
लोक सभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को संसद द्वारा निर्धारित वेतन और भत्ते प्राप्त होते है।
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को तभी हटाया जा सकेगा जब लोक सभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से इस आशय का प्रस्ताव पास हो जाय, इस प्रकार के प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 14 दिन की पूर्व सूचना दी गई हो।
किसी कारण से अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष और दोनों की अनुपस्थिति में अध्यक्ष द्वारा सभापतियों के पैनल या मण्डल जिसमें 6 सदस्य होते है द्वारा लोक सभा की अध्यक्षता की जाती है।
लोक सभा अध्यक्ष के कार्य और शक्तियाँ -
- अध्यक्ष के द्वारा लोकसभा की सभी बैठकों की अध्यक्षता की जाती है।
- लोकसभा में अनुशासन बनाने का कार्य भी करता है।
- लोक सभा के सभी कार्यक्रम, कार्यवाही और संसद के सदस्यों को भाषण देने की अनुमति देता है।
- प्रश्नों को स्वीकार और अस्वीकार करने का कार्य करता है। काम रोको प्रस्ताव उसकी अनुमति से पेश किया जाता है। प्रक्रिया सम्बन्धी सभी विवादों पर उसका निर्णय अन्तिम होगा।
- लोक सभा अध्यक्ष ही निश्चित करता है कि कोई विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं।
- अध्यक्ष का यह कत्र्तव्य है कि गणपूत्र्ति के अभाव में सदन को स्थगित कर दे या गणपूर्ति होने तक अधिवेशन निलम्बित कर दें।
ससंद सदस्यों के विशेष अधिकार -
अनुच्छेद 105 और अनुच्छेद 194 में कुछ विशेष अधिकार प्राप्त हैं -
- गिरफ्तारी की उन्मुक्ति - अधिवेशन के चलते रहने के दौरान या बैठक के 40 दिन पूर्व या पश्चात दीवानी मामलों में गिरफ्तारी से उन्मुक्ति है।
- जब सदन सत्र में हो तो बिना सदन की अनुमति के किसी सदस्य को साक्ष्य देने के लिए सम्मन नहीं दिया जा सकता है।
- प्रत्येक सदन की चर्चा और कार्यवाहियाँ प्रकाशित करने से रोकने का अधिकार है।
- संसद की चारदीवारी के भीतर जो कहा या किया जाता है। उसके बारे में कोई न्यायालय जाँच नहीं कर सकता है।
- भारतीय संसद संघीय सूची, समवर्ती सूची अवशेष विषयों और कुछ परिस्थितियों में राज्य सूची के विषयों में कानून बना सकती है।
- कानून निर्माण के सम्बन्ध में अन्तिम शक्ति लोक सभा को प्राप्त हैं।
- वार्षिक बजट और अनुदान संबंधी माँगे तथा व्यय की स्वीकृति देने का अधिकार लोकसभा को प्राप्त है।
- कार्यपालिका पर नियंत्रण की शक्ति के अन्तर्गत ही लोकसभा संघ लोकसेवा आयोग, भाषा आयोग व अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग की रिपोर्ट पर विचार करती है।
- संविधान में संशोधन का अधिकार लोकसभा को राज्यसभा के साथ मिलकर प्राप्त है।
- जनता के हित में लोक नीति और निर्माण का कार्य।
- लोक सभा संसद का सर्वोच्च अंग है।
- भूतपूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी लोकसभा के रूप में भी कार्यरत थे।
- अब तक केवल मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह ही भारत के राष्ट्रपति के रिक्त पद पर कार्यवाहक राष्ट्रपति थे।
- अनुच्छेद 118 के अनुसार “इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए संसद का प्रत्येक सदन अपनी प्रक्रिया और अपने कार्य संचालन के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा।“
संसदीय प्रक्रिया और कामकाज की व्यवस्था निम्न प्रकार से है।
प्रश्न काल (Question Hour) -
प्रतिदिन सदन की कार्यवाही का प्रथम घण्टा “प्रश्न काल“ होता है।
- तारांकित प्रश्न - इस प्रश्न के द्वारा सदस्य सदन में मौखिक उत्तर चाहता है।
- अतारांकित प्रश्न - इस प्रश्न के द्वारा सदस्य सदन में लिखित उत्तर चाहता है।
- अल्प सूचना - लोक महत्व के किसी तत्कालिक मामले से होता है।
पूरक प्रश्न (Supplementary questions) -
प्रश्न का मंत्री के द्वारा जो उत्तर दिया जाता है, उस उत्तर की किसी बात को लेकर प्रश्न पूछा जाता हैं पूरक प्रश्न कहलाता है।
शून्य काल(Zero hour)
प्रश्न काल के बाद लगभग 30 मिनट का समय “शून्य काल“ के रूप में होता हैं। बिना किसी पूर्व सूचना के सदस्य द्वारा सार्वजनिक हित का कोई भी प्रश्न उठाया जा सकता है।
सदन में कार्यवाही का समय सोमवार से शुक्रवार है।
लोक सभा अध्यक्ष
नाम कार्यकाल
1. गणेश वासुदवे मावंलंकर 15 मई 1952 से 3 फरवरी 1956
2. एम. अनन्तशयनम् आयंगर 8 मार्च 1956 से 16 अप्रैल 1962
3. सरदार हुकम सिंह 17 अप्रैल 1962 से 16 मार्च 1967
4. नीलम संजीव रेड्डी 17 मार्च 1967 से 19 जुलाई 1969
5. डाॅ. गुरू दयाल सिंह ढ़िल्लो 8 अगस्त 1969 से 1 दिसंबर 1975
6. बली राम भगत 15 जनवरी 1976 से 25 मार्च 1977
7. नीलम संजीव रेड्डी 26 मार्च 1977 से 13 जुलाई 1977
8. के. डी. हेगड़े 21 जुलाई 1977 से 21 जनवरी 1980
9. बलराम जाखड़ 22 जनवरी 1980 से 18 दिसंबर 1989
10. रबि राय 19 दिसंबर 1989 से 9 जुलाई 1991
11. शिवराज पाटिल 10 जुलाई 1991 से 22 मई 1996
12. पी. ए. संगमा 25 मई 1996 से 23 मार्च 1998
13. जी. एम. सी. बालयोगी 24 मार्च 1998 से 3 मार्च 2002
14. मनोहर जोशी 10 मई 2002 से 2 जून 2004
15. सोमनाथ चटर्जी 4 जून 2004 से 30 मई 2009
16. मीरा कुमार 30 मई 2009 से 04 जून 2014
17. सुमित्रा महाजन 06 जून 2014 से 16 जून 2019
18. ओम बिरला 18 जून 2019 से अब तक
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