संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग (United States Public Service Commission):-

  • संविधान के अनुच्छेद 315 (2) के अनुसार दो या दो से अधिक राज्य यह करार कर सकेगें कि राज्यों के उस समूह के लिए एक ही लोक सेवा आयोग होगा तो इस आशय का संकल्प उन राज्यों में से प्रत्येक राज्य के विधान मण्डल के सदन द्वारा या प्रत्येक सदन द्वारा पारित कर दिया जाता है तो संसद राज्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए विधि द्वारा संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग की स्थापना करेगी।
  • इस प्रकार संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जायेगी। जो अपने पद ग्रहण की तारीख से 6 वर्ष या 62 वर्ष तक की उम्र तक जो भी पहले हो पद धारण करेगा।
  • संयुक्त राज्य लोकसेवा आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष राष्ट्रपति को किसी भी समय अपना त्याग पत्र देकर पदमुक्त हो सकते है।
  • स्वतंत्रता से पूर्व 1935 भारत सरकार अधिनियम के मुताबिक संघ लोक सेवा आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग तथा दो या दो से अधिक प्रान्तों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग का गठन किया गया।

भारत में गठित वेतन आयोग 

क्रम  नम        गठन   रिपोर्ट अध्यक्ष

1. प्रथम 1946 1947  श्रीनिवास वर्दाचारियार

2. छूसरे 1957 1959 जगन्नाथ दास

3. तृतीय 1970 1973 रघुबीर दयाल

4. चैथा         1983 1986 वी.एन. सिंघल

5. पाँचवें 1994 1997 रत्नवेल पांडियन 

6. छठें         2006 2008 बी.एन.श्री कृष्णा

भारत में प्रशिक्षण संस्थाएं 

1. लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी -1972मसूरी(उत्तराचंल)(राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी)

2. सरदार वल्लभ भाई पटेल - 1977 - हैदराबाद

3. इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी - 1987-देहरादून

4. भारतीय विदेश सेवा संस्थान - 1986 - नई दिल्ली

5. भारतीय लोक प्रशासन संस्थान - 1954-नई दिल्ली

6. भारतीय ग्रामीण विकास संस्थान - 1950-हैदराबाद

7. भारतीय प्रशासनिक स्टाॅफ काॅलेज - 1957 हैदराबाद

8. सीमा शुल्क उत्पाद शुल्क प्रशिक्षण स्कूल-फरीदाबाद

9. भारतीय राजस्व सेवा (प्रत्यक्ष कर) प्रशिक्षण संस्थान - नागपुर

10. रेलवे स्टाॅफ काॅलेज - बड़ोदरा 

प्रशासनिक अधिकरण (Administrative Tribunal)

  • भारतीय संविधान में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भाग 14 के अनुच्छेद 323 में एक नया खण्ड 323 । तथा 323 ठ जोड़ा गया जिसे प्रशासनिक अधिकरण कहा गया।
  • इसकी स्थापना संसद द्वारा अनुच्छेद 323 । के आधार पर 1985 में हुई थी। यह एक संवैधानिक निकाय है। प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण तथा राज्य प्रशासनिक अधिकरण की स्थापना का प्रावधान है।
  • केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण का मुख्यालय दिल्ली में है तथा इसकी 17 नियमित पीठ है।

अध्यक्ष की योग्यता -

  • अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पर वही व्यक्ति नियुक्त हो सकता है जो -
  1. किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो।
  2. 2 वर्ष तक अधिकरण के उपाध्यक्ष पद पर रहा हो।
  3. 2 वर्ष तक राज्य सरकार के सचिव पद पर रहे हो।

  • केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण एक बहु-सदस्यीय संस्था है जिसके सदस्य न्यायिक व प्रशासनिक दोनों संस्थानों से लिए जाते है और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते है।
  • इनके सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष अथवा 65 वर्ष की उम्र तक तथा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष और 62 वर्ष जो भी पहले हो।
  • संसद को विधि द्वारा संघ एवं राज्य सरकार के सेवकों की सेवा शर्तों से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए प्रशासनिक अधिकरणों की स्थापना करने की शक्ति प्रदान की गयी है।
  • संघ या किसी राज्य या भारत राज्य के भीतर सरकार सेवाओं और पदों के लिए तथा उनकी सेवा शर्तों से संबंधित विवादों और परिवादों के न्याय-निर्णयन या वितरण के लिए संसद विधि द्वारा प्रशासनिक अधिकरणों की स्थापना करेगी।
  • दो या अधिक राज्यों के लिए एक अधिकरण की स्थापना की जा सकती है।
  • इस प्रकार प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम सिवाय जम्मू-कश्मीर के सम्पूर्ण भारत में है।

राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण -

  1. प्रशासनिक अधिनियम 1985 के अनुसार केन्द्र को राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण गठित करने की शक्ति प्रदान करता है।
  2. राज्य प्रशासनिक अधिकरण के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की सलाह पर की जाती है। 
  3. संयुक्त राज्यों के प्राधिकरण के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संबंधित राज्यों के राज्यपालों की सिफारिश पर होती है। यह प्रशासनिक अधिकरण प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत पर आधारित है। यह अधिकरण सिविल प्रक्रिया संहिता (1908) में निर्धारित प्रक्रिया मानने के लिए बाध्य नहीं है।