स्थानीय प्रशासन-(Local Administration)

लोकतंत्र की मूलभूत मान्यता है कि सर्वोच्च शक्ति जनता में निहित होनी चाहिए तथा अधिकाधिक व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से शासन कार्यांे में हिस्सा लें सकें। इसलिए स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को लोकतंत्र की आधार शिला कहा जाता है। जो पंचायती राज या नगर पालिका संस्था कहलाती है।

  • भारतीय संविधान के भाग 9 के अनुच्छेद 243 से 243 (व) तक पंचायत के बारे में उपबंध है।
  • 73 वें भारतीय संविधान संशोधन 1992 के द्वारा इसे संवैधानिक दर्जा दिया गया है तथा 11 वीं अनुसूची में रखा गया है।
  • भारत में सर्वप्रथम पंचायती राज प्रणाली का उद्घाटन प्रधानमंत्री प. जवाहर लाल नेहरू ने 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान राज्य के नागौर जिले में उद्घाटन किया था।
  • इसके बाद अक्टूबर 1959 में ही आंध्रप्रदेश में पंचायती राज प्रणाली अपनायी थी।
  • भारतीय संघीय प्रणाली में केन्द्र और राज्यों के बीच शक्तियों के बँटवारें की योजना के अंतर्गत ‘स्थानीय शासन‘ का विषय राज्यों को दिया गया है।
  • संविधान की सांतवी अनुसूची में वर्णित राज्य सूची में पाँचवी प्रविष्टि ‘स्थानीय शासन‘ से संबंधित है।

भारत में पंचायती राज की स्थापना के लिए निम्न समितियों का गठन किया गया -

  1.  बलवंतराय मेहता समिति  -  1957
  2.  अशोक मेहता समिति     -  1977
  3.  जी. वी. के. राव समिति  -  1985
  4.  एल. एम. सिंघवी रिपोर्ट     -   1986
  5.  पी. के. थुंगन समिति -  1988  

1. बलवंत राय मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Committee): -

  1. सामुदायिक विकास कार्यक्रम (1952) और राष्ट्रीय विस्तार सेवा (1953) की कार्यप्रणाली की जाँच करने और कार्यप्रणाली में सुधार के लिए 1957 में बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया।
  2. नवम्बर 1957 में प्रस्तुत रिपोर्ट में ‘जनतांत्रिक विकेन्द्रीकरण‘ योजना स्थापित करने की सलाह दी।
  3. ग्रामीण स्थानीय प्रशासन की त्रिस्रीय पद्धति की सिफारिश की।
                                    पंचायत                                

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   ग्राम                          ब्लाक                        जिला

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  ग्राम पंचायत/सभा   पंचायत समिति            जिलापरिषद


2. अशोक मेहता समिति (Ashok Mehta Committee): -

  • जनता पार्टी की सरकार द्वारा दिसंबर 1977 में पंचायती राज संस्थाओं के लिए अशोक मेहता की अध्यक्षता में समिति नियुक्त की गई।
  • अगस्त 1978 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में 132 सिफारिशें की थी।
  • महत्वपूर्ण सिफारिशों में मुख्य रूप से पंचायती राज का स्तर दो स्तरीय प्रणाली का निर्माण किया।

                            पंचायत                                

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   जिला परिषद                       मण्डल पंचायत 

  •  पंचायती राज के चुनाव दल गत आधार हों। इस दशा में मध्य प्रदेश सरकार ने सर्वप्रथम दलगत पर आधारित चुनाव करायें।

3. जी. वी. के राव समिति (G. V. K. Rao Committee) -

  • ग्रामीण विकास और निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए प्रशासनिक प्रबंध विषय पर 1985 समिति का गठन किया गया।

4. एल. एम. सिंघवी की रिपोर्ट (L. M. Singhvi's Committee) -

  • इस समिति का गठन - 16 जून 1886 में किया गया।

5. पी. के. थुंगन समिति (P. K. Thungan Committee) -

  • समिति का गठन 1988 में किया गया था। जिसने अपनी रिपोर्ट में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक स्तर प्रदान करने की सिफारिश की थी।

73 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 -

  1. पी.वी. नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व के काल में 73 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में पारित किया गया जो 24 अप्रैल 1993 को अधिनियमित और पारित हो गया।
  2. इस अधिनियम को भाग 14 में जोङ दिया गया जिसका शीर्षक पंचायत रखा गया। इसमें पंचायत के कार्य हेतु 29 मदें हैं।
  3. संविधान के राज्य की नीति-निर्देशक तत्व के अन्तर्गत अनुच्छेद 40 में उल्लेख है कि ‘‘ग्राम पंचायतों को संगठित करने के लिए राज्य कदम उठायेगा। और ऐसी शक्तियाँ प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक हो‘‘।