राजभाषा - Official Language

भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में आमतौर पर स्वीकार किया जाता है किन्तु अधिकारिक रूप से इसे ऐसा कोई दर्जा प्राप्त नहीं है। संविधान के भाग 17 में अनुच्छेद 343 और 344 के अनुसार संघ की राजभाषा के संबंध में दिए गए उपबंध निम्न है।

  1. संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।
  2. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जानी वाली अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। 
  3. अनुच्छेद 343 (2) के अनुसार कार्यालय संबंधी कार्यों में अंग्रेजी का प्रयोग संविधान आरम्भ होने से 15 वर्षों की अवधि अर्थात् 25 जनवरी 1965 तक जारी रहेगा। इस अवधि के दौरान राष्ट्रपति आदेश द्वारा संघ के राजकीय कार्यों में से अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हिन्दी या देव नागरीलिपि के प्रयोग का अधिकार प्रदान कर सकते हैं।
  4. अनुच्छेद 344 राजभाषा के लिए एक आयोग गठित करने का उपबंध करता है।

राजभाषा आयोग -

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के उपबंधों के आधार पर राष्ट्रपति को राजभाषा आयोग गठित करने का अधिकार दिया हैं।
  2. राष्ट्रपति राजभाषा आयोग की नियुक्ति संविधान के प्रारंभ होने से 5 वर्ष की समाप्ति पर तथा उसके पश्चात प्रत्येक 10 वर्ष की समाप्ति के उपरान्त राजभाषा आयोग का गठन करेगा।
  3. राष्ट्रपति इस आयोग का गठन एक अध्यक्ष तथा आठवीं अनुसूची में निर्दिष्ट विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों से मिलकर करेगा।
  4. राष्ट्रपति द्वारा इस अधिनियम का प्रयोग करते हुए 1955 में बी. जी. खेर की अध्यक्षता में सर्वप्रथम राजभाषा आयोग का गठन किया। उसने अपनी रिपोर्ट 1956 में प्रस्तुत की थी।

राजभाषा पर संयुक्त संसदीय समिति -

  • अनुच्छेद 344 के खण्ड (4) के अनुसार एक संयुक्त समिति का गठन किया जायेगा जिसमें 20 सदस्य लोकसभा तथा 10 सदस्य राज्य सभा से होगें।
  • ये सदस्य अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होगें।
  • यह समिति राजभाषा आयोग की सिफारिशों को पुनरीक्षण करके राष्ट्रपति को अपना प्रतिवेदन देगी।
  • स्थायी राजभाषा आयोग के गठन की सिफारिश संयुक्त संसदीय समिति ने की थी जिस आधार पर 1961 में स्थायी राजभाषा आयोग का गठन किया गया था जिसे 1976 में समाप्त कर दिया गया।
  • आयोग मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन कार्यरत है।
  • मूल संविधान में 14 भाषाओं को स्वीकार किया गया जो संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित है।
  • 21 वें संविधान संशोधन 1966 द्वारा आठवीं अनुसूची में सिन्धी भाषा को जोड़ा गया।
  • 71 वें संविधान संशोधन 1922 द्वारा आठवीं अनुसूची में कोकणी, मणिपुरी, नेपाली को जोड़ा गया।
  • 92 वें संविधान संशोधन द्वारा 2003 में 4 नयी भाषा मैथिली, डोगरी, बोडों, संथाली को जोड़ा गया।
  • वर्तमान में हमारे संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं है। 

  भारतीय भाषाएं

  1. असमिया
  2. बंगला
  3. गुजराती
  4. हिन्दी
  5. कन्नड़
  6. कश्मीरी
  7. कोंकणी
  8. मलयालम
  9. मणिपुरी
  10. मराठी
  11. नेपाली  
  12. उड़ीसा
  13. पंजाबी
  14. संस्कृत 
  15. सिंधी
  16. तमिल
  17. तेलुगू
  18. उर्दू
  19. डोगरी
  20. बोडो
  21. मैथिली
  22. संथाली

शास्त्रीय भाषाएँ 

  • साहित्य अकादमी द्वारा एक विशेषज्ञ समिति की अनुशंसाओं के परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार ने 2004 में शास्त्रीय भाषाएं नामक भाषा श्रेणी स्थापित करने का निर्णय लिया।
  • जिसके आधार पर 2005 में शास्त्रीय भाषाएं नामक भाषा का दर्जा प्राप्त करने वाली प्रथम भाषा तमिल थी तथा दूसरी भाषा का दर्जा संस्कृत को दिया गया।

राज भाषा -

  • अनुच्छेद 345 के अनुसार किसी राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा उस राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को उस राज्य की शासकीय भाषा के रूप में प्रयोग कर सकता है।
  • अनुच्छेद 347 के अनुसार यदि किसी राज्य की जनंसख्या का पर्याप्त भाग किसी विशेष भाषा को उस प्रदेश के कार्यालय संबंधी कार्यों में प्रयोग करने की मांग कर सकता है। तो राष्ट्रपति इस मांग को शासकीय प्रयोजन के लिए मान्यता देने का उपबंध कर सकता है।
  • नागालैंड, मिजोरम, मेघालय एवं अरूणाचल प्रदेश की राज भाषा अंग्रेजी है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 के अनुसार यदि संसद विधि द्वारा निर्णय करले तो 15 वर्ष की अवधि के पश्चात् भी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग होगा।