कुछ वर्गों के लिए विषेश उपबंध-(Special Provision for Certain Classes)

प्रजातांत्रिक समानता के आदर्श तभी साकार हो सकते है जबकि देश से समस्त वर्गों केा एक स्तर तक लाया जाय। इसलिए हमारे संविधान में पिछड़े वर्गों को देश के अन्य वर्गों के स्तर पर लाने के लिए कुछ अस्थायी प्रावधान है।

  • संवैधानिक अनुच्छेद 46 राज्य को जनता के दुर्बलतम और विशेष अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा तथा आर्थिक हितों की विशेष सावधानी से उन्नति करने तथा सब प्रकार के शोषण से उनका संरक्षण करने का निर्देश देता है।
  • भाग-3 में मूल अधिकारों से संबंधित अनुच्छेद 14, 15, 16, 19 में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण के लिए अनेक उपबंध है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है जो भारतीयों के लिए महान कलंक था।
  • अनुच्छेद 164 उड़ीसा, बिहार और मध्यप्रदेश राज्यों में आदिम अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए एक विशेष मंत्री की उपबंध करता है।
  • अनुच्छेद 330 से लेकर 342 तक में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित आदिम जातियों, ऐग्लों-इंडियन्स और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष उपबंध है।
  • संविधान के भाग 16 में अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए विशेष प्रावधान है। भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए कोई परिभाषा नहीं दी गयी है।
  • अनुच्छेद 341 तथा अनुच्छेद 342 राष्ट्रपति केा राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेश की जाति व जनजाति को अनुसूचित करने का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है।
  • संसद विधि द्वारा खण्ड (1) के अधीन निकाली अधिसूचना में किसी जनजाति समुदायों को सम्मिलित कर सकती है या निकाल सकती है। इसके लिए राज्यों में राष्ट्रपति तथा राज्यपालों से सलाह लेकर सूचना जारी करता है। 
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अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए प्रावधानः- (Provisions for Scheduled Castes and Tribes)

1. लोक सभा तथा राज्य विधान सभाओं में स्थानों का आरक्षण (Reservation of seats in Lok Sabha and State Legislative Assemblies)-

  • अनुच्छेद 330 और 332 के अधीन अनुसूचित जाति तथा जनजातियांे के सदस्यों के लिए लोक सभा तथा राज्य विधानसभाओं में स्थानों का आरक्षण किया गया है वर्तमान समय में लोकसभा की 543 सीटों में से 79 अनुसूचित जाति तथा 42 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है।
  • 42 वें संविधान संशोधन (1976) से यह स्पष्ट किया गया कि जनसंख्या से तात्पर्य 1971 में आधारित जनसंख्या है वह सन् 2000 तक बनी रहेगी। अर्थात 
  • लोक सभा तथा राज्यों की विधानसभाओं में स्थानों का आरक्षण सन् 2000 तक किया जाय। 
  • 84 वें संविधान संशोधन अधिनियम सन् 2000 द्वारा अनुच्छेद 330 और 332 में संशोधन किया गया कि संख्या सन् 2000 के स्थान पर सन् 2026 तथा जनसंख्या आधार सन् 1971 के स्थान पर सन् 1991 अतः स्ािापित की गई है। 
  • यह आरक्षण संविधान लागू होने की तारीख से 10 वर्ष के लिए किया गया था जिसे समय-समय पर बढाया गया है।
  • संविधान के 87वें संशोधन, सन् 2003 द्वारा अनुच्छेद 330 में संशोधन कर जनसंख्या का आधार 1991 के स्थान पर सन् 2001 होगी।

नोट: लोक सभा एवं राज्य विधान सभाओं अनुसूचित जातियों जनजातियों व आंग्ल भारतीय (।दहसव - प्दकपंद) प्रतिनिधियों के लिए आरक्षण व्यवस्था 10 वर्ष तक बढ़ा दिया है। इसके लिए अनुच्छेद 334 उपबन्धों के आधार पर 109वाँ संविधान संशोधन अधिनियम अगस्त 2009 में संसद में लोकसभा ने पारित किया जिस आधार पर आरक्षण की अवधि 10 वर्ष तक बढ़ा दिया गया है और विधेयक के अधिनियम होने पर संविधान के अनुच्छेद 334 में 60 वर्ष के स्थान पर 70 वर्ष दर्ज किया गया।

2. अनुसूचित जाति जनजाति आयोग - Scheduled Caste Tribe Commission

  • 1978 में एक बहुसदस्यीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना की गयी। संविधान के 65 वें संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 338 में संशोधन करके इस आयोग के गठन के संबंध में प्रावधान किया।
  • इस मूल प्रावधान के तहत राष्ट्रपति द्वारा आयोग का गठन किया जाता है जिसके अध्यक्ष द्वारा प्रतिवर्ष नियमित रूप से अपनी रिपोर्ट को संसद के सम्मुख प्रस्तुत करते है।

कार्यकाल -

  1. आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पांच अन्य सदस्य होगें।
  2. इन सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगें और उनकी सेवा-शर्ते और कार्यकाल राष्ट्रपति द्वारा तय किया गया।


राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग - National Commission for Scheduled Castes

  • 89 वें संविधान संशोधन अधिनियम सन् 2003 के द्वारा अनुच्छेद 338 के अधीन अनुसूचित जातियों के लिए ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग‘ का गठन किया गया।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग - National Commission for Scheduled Tribes -

  • 89 वें संविधान संशोधन अधिनियम सन् 2003 के द्वारा अनुच्छेद 338 (क) को अन्तः स्ािापित करते हुए 5 सदस्यीय अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन किया गया है। 

आयोग के कार्य - Commission Functions

  1. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए संवैधानिक सुरक्षा कवच के तहत कार्यों का मूल्यांकन और सभी मामलों की जांच करना।
  2. अनुसूचित जाति जनजातियों के लोगों को मिले अधिकारों से संबंधित शिकायतों की जांच करना।
  3. विशिष्ट मामलों के तहत राष्ट्रपति द्वारा सुरक्षा कल्याण एवं विकास के कार्यों को करना।
  4. संविधान की पांचवी व छठी अनुसूची में अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के लिए विशेष प्रशासनिक व्यवस्था पर विचार करना।

पिछड़े वर्गों के लिए प्रावधान - Provisions for Backward Classes -

  • संविधान में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि कौन से व्यक्ति पिछड़े वर्ग में शामिल है।
  • किन्तु अनुच्छेद 340 (1) के अन्तर्गत राष्ट्रपति को सामाजिक और शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों की दशाओं तथा कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान है।
  • इस प्रकार के आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है तथा आयोग के सदस्यों की संख्या का निर्धारण भी करता है।

स्वतंत्रता से लेकर अब तक दो पिछड़ा आयोग का गठन किया गया है -

  1. काका केलकर की अध्यक्षता में 29 जनवरी 1953 को गठित हुई थी। जिसकी सिफारिशों को अमान्य कर दिया गया है।
  2. वी. पी. मण्डल की अध्यक्षता में 20 सित्मबर 1978 को गठित किया गया जिसकी सिफारिशों को कुछ परिवर्तनों के साथ लागू किया गया है।

पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम - Backward Classes Commission Act 

  1. पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए संसदीय अधिनियम द्वारा अगस्त 1993 में न्यायमूर्ति आर. एन. प्रसाद की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना की गई।
  2. आरक्षण की सीमा के सम्बन्ध में ‘इन्द्रा साहनी बनाम भारतीय संघ‘ विवाद में सर्वोच्च न्यायालय की 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  3. पिछड़े वर्गों के लिए भिन्न-भिन्न राज्यों में आरक्षण का प्रतिशत भिन्न-भिन्न है।
  4. अनुसूचित जाति के निर्धारण का आधार जाति और अनुसूचित जनजाति के निर्धारण का आधार क्षेत्र व जाति रहा है।
  5. 1931 ई. की जनगणना के आधार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को अन्य जातियों से अलग स्वीकार की गयी है। 

आयोग के कार्य - Commission Functions

  1. सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं तथा उनकी कठिनाईयों की जांच करना।
  2. सम्पूर्ण भारत के लिए पिछड़े समुदायों की सूची तैयार करना।
  3. सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को सुधारने अनुदान दिये जाने की व्यवस्था करना।

दूसरा पिछड़ा आयोग (वी. पी. मण्डल आयोग) की सिफारिशों में से पिछड़े वर्गों हेतु सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने की सिफारिश को सरकार द्वारा केन्द्र सरकार के अधीन नौकरियों में 1994 से कार्यान्वित कर दिया गया है।


आंग्ल-भारतीय समुदाय - Anglo-Indian Community -

  • संविधान के अनुच्छेद 331 तथा 333 में क्रमशः लोकसभा तथा राज्यों की विधान सभाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के प्रतिनिधित्व का प्रावधान है।
  • राष्ट्रपति संसद में आंग्ल-भारतीय समुदाय के अधिकतम दो सदस्यों को अनुच्छेद 331 तथा राज्यपाल इस समुदाय के अधिकतम एक सदस्य अनुच्छेद 333 के आधार पर मनोनीत कर सकता है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग - National Minorities Commission -

  1. भारतीय संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 29 तथा अनुच्छेद 30 में अल्प संख्यक वर्गो के लिए विशेष प्रावधान किया गया है।
  2. अनुच्छेद 350 के उपबन्धों के अनुसार राष्ट्रपति भाषायी अल्पसंख्यकों के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए बाध्य है।
  3. संसद ने संविधान और संघ और राज्य विधियों में उपबंधित रक्षोपायों के कार्यक्रमों का पर्यवेक्षण करने हेतु राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के आधार पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया।

  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करके संसद ने लोक सभा एवं विधान सभा चुनावों में उम्मीदवारों की जमानत राशि वर्ष 2010 में वृद्धि कर दी है।

  1. लोक सभा चुनाव में उम्मीदवारों को 25 हजार रूपये जमानत राशि तथा फरवरी 2011 में बड़े राज्यों में चुनाव खर्च राशि 25 लाख रूपये से बढ़ाकर 40 लाख रूपये कर दी है।
  2. राज्य विधान सभा चुनाव में जमानत राशि 10 हजार रूपये तथा फरवरी 2011 में चुनाव खर्च की सीमा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रखी है जिस आधार पर बड़े राज्यों के लिए यह राशि 16 लाख रूपए है।