नगरपालिकाएँ- Municipality

  • भारत कानूनी रूप से 1687 में मद्रास शहर के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा नगर निगम संस्था की स्थापना की गयी।
  • सन् 1726 के चार्टर अधिनियम द्वारा मद्रास, कलकत्ता और बम्बई के महानगरों में नगर निगम की स्थापना की गयी।
  • सन् 1882 में वायसरास में लार्ड रिपन ने नगरीय शासन व्यवस्था में सुधार करने का प्रयास किया जिनके प्रस्ताव को स्थानीय शासन का मैग्नाकार्टा कहा गया जिन्हें भारत में स्थानीय स्वशासन के पिता के रूप में पहचाना गया।
  • नगरीय विकेन्द्रीकरण पर रिपोर्ट के लिए 1909 में शाही विकेन्द्रीकरण आयोग का गठन किया गया जिसकी रिपोर्ट को आधार मानकर भारत शासन अधिनियम 1991 में नगरीय प्रशासन के संबंध में प्रावधान किया गया।
  • अगस्त 1989 में, राजीव गाँधी सरकार ने लोकसभा मंे 65 वाँ संविधान संशोधन विधेयक पेश किया किन्तु यह विधेयक पारित नहीं हो सका।
  • सितंबर 1992 में पी.वी. नरसिंह राव सरकार द्वारा लोक सभा विधेयक पेश किया जो 20 अप्रैल 1993 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत कर लिया गया।
  • जून 1993 से 74 वाँ संविधान संशोधन विधेयक को संविधान के भाग 9-क में तथा 12 वीं अनुसूची के साथ जोङकर प्रावधान किऐ गये।
  • 74 वाँ संविधान संशोधन द्वारा नगरीय क्षेत्र में  
  • स्थानीय स्वायत्त शासन की इकाइयों को संवैधानिक आधार प्रदान किया गया जो संपूर्ण देश में विद्यमान है इसमें दो निकाय हैं।

1. स्वायत्त शासन की संस्थाएँ (अनुच्छेद 243 (थ))

2. योजना संस्थाएँ ( अनुच्छेद 243 (य) और 243 य,ड़)


इस अधिनियम द्वारा प्रत्येक राज्य में निम्न तीन प्रकार की नगरपालिकाओं की संरचना प्रदान करता है।

  1.  नगर पंचायत: - ऐसे क्षेत्र के लिए जो ग्रामीण क्षेत्र से नगर क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा है।
  2.  नगर परिषद्: - छोटे नगर क्षेत्रों के लिए।
  3.  नगर निगम: - बङे नगर क्षेत्र के लिए।

शहरी शासन के प्रकारः-

सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में शामिल करके यह स्पष्ट कर दिया गया था कि इस संबंध में कानून केवल राज्य द्वारा ही बनाया जा सकता है। इस आधार पर शहरी शासन निम्न प्रकार है।

1. महानगर पालिका:-

  • राज्यों के बङे शहरों में राज्य विधान मंडल के कानून द्वारा तथा केन्द्रशासित प्रदेश में भारत की संसद के एक्ट द्वारा तथा केन्द्रशासित प्रदेश में भारत की संसद के एक्ट से गठन होगा।               
  • इसके तीन भाग है जिनमें परिषद् का प्रधान मेयर, स्थायी समिति और आयुक्त होते हैं। जिसमें आयुक्त का पद राज्य सरकार द्वारा प्ण्।ण्ैण् समूह के अधिकारी द्वारा भरा जाता है।

2. नगर पालिकाः-

  • कस्बों और छोटे शहरों के प्रशासन के लिए गठित की जाती है। अलग-अलग राज्यों में यह अलग नाम जैसे- नगर पालिका परिषद्, नगर पालिका समिति, उपनगरीय नगरपालिका, शहरी नगरपालिका नगरपालिका बोर्ड आदि है।

3. सूचीबद्ध क्षेत्र: - (Notified Area) -

इस प्रकार की समिति का गठन दो प्रकार के क्षेत्र के लिए होता है जिसमें:-

  1.  औद्योगिकरण के कारण विकासशील कस्बा जो राज्य सरकार द्वारा महत्वपूर्ण माना जाता हों।
  2.  वह कस्बा जिसने अभी तक नगरपालिका के गठन की आवश्यकता शर्ते पूरी न की हों।

इस समिति की शक्तियाँ नगर पालिका शक्तियों के समान है। यह न तो निर्वाचित इकाई और न ही कानूनी इकाई बल्कि नामित इकाई है।

4. नगर क्षेत्र समिति:- इसका गठन राज्य विधान मंडल के कानून द्वारा छोटे कस्बों में प्रशासन के लिए किया जाता है।

5. छावनी परिषद् -

इसे 1924 के छावनी एक्ट के प्रावधानों के अन्तर्गत गठित किया गया है। जो केन्द्र सरकार द्वारा बनाया एक कानून है और केन्द्रीय सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

छावनी परिषद् के कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

6. पोर्ट ट्रस्टः-

  इस प्रकार के संघ की स्थापना मुख्य रूप से दो उद्देश्यों के लिए की गई: -

1. बंदरगाहों की सुरक्षा व्यवस्था।

2. नागरिक सुविधाएँ प्रदान करना है।

 यह संसद के एक एक्ट के गठन द्वारा किया जाता है।

7. विशेष उद्देश्य के लिए गठित अभिकरण: -

राज्यों ने विशेष कार्यों के नियंत्रण हेतु अभिकरणों का गठन किया गया जो कार्यक्रम पर आधारित था। जो एक उद्देशीय इकाई के रूप में कार्य करती है।

जैसे:- नगरीय, शहरी, सुधार, शक्ति, विद्युत आपूर्ति बोर्ड ये स्वायत्त इकाई के रूप में स्थानीय शहरी शासन सौंपे गये कार्यों को करती है।

गठन:-

  • नगर पालिकाओं के सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा निर्वाचित होते हैं।
  • राज्य विधान मंडल अपनी विधि द्वारा निम्न व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व के लिए प्रावधान कर सकता है। 

  1. 1. नगर पालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्ति 
  2. 2. लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा और विधान परिषद के सदस्य 
  3. 3. संविधान के अनुच्छेद 243 - ध के अन्तर्गत गठित वार्ड समितियों के अध्यक्ष/अध्यक्षों का निर्वाचन विधान मंडल द्वारा निर्मित उपबन्ध द्वारा होगा।
  • 3 लाख या उससे अधिक जनसंख्या वाले नगरपालिका क्षेत्र में आने वाले दो या अधिक वार्डों के लिए वार्ड समितियाँ बनाना आवश्यक है।

कार्यकाल -

नगरीय संस्थाओं की अवधि पाँच वर्ष होगी किन्तु इन संस्थाओं का विघटन 5 वर्ष के पहले भी किया जा सकता है लेकिन विघटन की अवधि 6 माह से अधिक न हो अर्थात 6 महीने के अन्दर चुनाव पुनः करायें जाते है।

योग्यता -

संविधान के अनुच्छेद 243 - फ के अनुसार राज्यों के विधान मंडल के सदस्यों के लिए निर्धारित योग्यताएं ही नगरपालिका के सदस्यों के लिए निर्धारित की गई है।

 किन्तु आयु सीमा की अर्हता नगरपालिका के लिए 21 वर्ष है।

आरक्षण -

नगरपालिका क्षेत्र की कुल आबादी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी के अनुपात में इन वर्गों के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।

  • अधिनियम में किसी नगरपालिका क्षेत्र में कुल सीटों की संख्या से एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त महिलाओं के लिए कुल स्थानों का 30ः स्थान आरक्षित होगा। 
  • नगरपालिकाओं के सभी चुनावों का आयोजन तथा मतदाता सूचियों की तैयारी के कार्य की निगरानी तथा नियंत्रण रखने का अधिकार राज्य को है।
  • नगरपालिकाआंे की शक्तियों और उत्तरदायित्व का निर्धारण राज्य विधानमंडल कानून बनाकर कर सकती है। इसके अतिरिक्त संविधान की बारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 18 विषय शामिल है, के संबंध में कानून बनाकर कार्य करेगी।
  • संविधान के अनुच्छेद 243ड में नगरपालिकाओं के लिए वित्त आयोग के गठन का उपबन्ध है। जिसका गठन प्रत्येक पाँच वर्ष के अन्तराल पर होगा। वित्त आयोग नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति की भी समीक्षा करेगा तथा राज्यपाल से सिफारिश करेगा।

ये निम्न सिद्धांत हैं -

  1.  राज्य द्वारा प्रभावित कर, शुल्क, पथकर से प्राप्त शुद्ध राशि को राज्य और नगरपालिकाओं के बीच विभाजित करने पर लागू।
  2.  नगर पालिकाओं को सौंपे जाने वाले करों, शुल्कों और पथकरों का निर्धारण।
  3.  राज्य की संचित निधि से नगर पालिकाओं को सहायता अनुदान।
  4.  राज्यपाल द्वारा वित्त आयोग को प्रेषित अन्य कोई विषय।

  • राज्यपाल आयोग मंडल नगरपालिकाओं के लेखा खातों के रख-रखाव और लेखा परीक्षा का प्रावधान करता है।
  • इस अधिनियम के प्रावधान जम्मू-कश्मीर, नागालैण्ड, मेघालय और मिजोरम राज्य में कुछ अन्य क्षेत्रों में लागू नहीं होगें।

ऐसे क्षेत्र -

(1) अनुच्छेद 244 में वर्णित अनुसूचित क्षेत्र और जनजातीय क्षेत्र। 

(2) पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग गोरखा हिल कांउसिल का कार्य क्षेत्र। 


अनुच्छेद नगरीय शासन से संवैधानिक उपबंध

243 च् परिभाषा

243 फ नगर पालिकाओं का गठन

243 त् नगर पालिकाओं की संरचना

243 ै वार्ड समितियांे आदि का गठन और संरचना

243 ज् स्थानों का आरक्षण

243 न् नगर पालिकाओं की अवधि

243 ट सदस्यता के लिए र्निअहर्ताएं

243 ॅ नगर पालिकाओं आदि की शक्तियाँ प्राधिकार और उत्तरदायित्व 

243 ग् नगरपालिकाओं द्वारा अधिरोपित करने की शक्ति और निधियाँ 

243 ल् वित्त आयोग

24र्3 नगर पालिकाओं के लेखाओं का संपरिक्षा

24र्3 । नगर पालिकाओं के लिए निर्वाचन

24र्3 ठ संघ राज्य क्षेत्रों को लागू होना।

24र्3 ब् कुछ सुनिश्चित क्षेत्रों में लागू न होने वाले भाग

24र्3 थ् मौजूदा कानूनों एवं पंचायतों की निरंतरता

24र्3 म्ळ निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप

24र्3 क् योजना के लिए समिति