पंचायत-

पंचायत तीन स्तर पर गठित होगी -

  1.  ग्राम स्तर 
  2.  ब्लाक स्तर
  3.  जिला स्तर

इस अधिनियम द्वारा देश भर में संरचना की एक रूपता के रूप में होगी तथा जिन राज्यों के केन्द्रशासित प्रदेशों में जनसंख्या 20 लाख से अधिक नहीं है वहाँ पंचायतें ग्राम स्तर पर गठित की जायेंगी।


अध्यक्ष और सदस्यों का चुनाव -

  • सभी सदस्यों का चुनाव सीधे जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होगें।
  • मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर अर्थात पंचायत सदस्यों द्वारा होगा।
  • ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव कैसे हो यह निर्णय उस राज्य के विधान मंडल द्वारा विधि से किया जायेगा।
  • सांसद या विधान सभा सदस्य मध्य या उच्च स्तर के सदस्य हों यह राज्य विधान मण्डल पर आधारित हैं।

स्थानों का आरक्षण -

  • सभी स्तरों पर अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों का आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में तथा इनमें से 1/3 आरक्षण इन वर्गों की महिलाओं का होगा।
  • तीनों स्तर पर कुल सदस्यों व अध्यक्षों में से 1/3 पद महिलाओं के लिए निर्वाचन क्षेत्रों में चक्रानुक्रम में आवंटित होगें। 

कार्यकाल -

  • पंचायतों का कार्यकाल उनकी प्रथम बैठक से पाँच वर्ष तक होगा। इसे समयपूर्व भी भंग किया जा सकता है उस स्थिति में 6 माह के अंदर चुनाव आवश्यक है। जो शेष अवधि के लिए कार्य करेगी।

सदस्यों की योग्यता -

  • उम्मीदवार की आयु 21 वर्ष से कम न हों।

राज्य चुनाव आयोग -

  • पंचायतों के चुनाव से संबंधित समस्त अधीक्षण निर्देशन और नियंत्रण राज्यपाल द्वारा नियुक्त एक राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा।
  • राज्य निर्वाचन आयुक्त को पद से उसी प्रकार हटाया जायेगा। जैसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है। 


वित्त आयोग -

राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा के लिए वित्त आयोग का गठन करेगा।

  1. राज्य द्वारा प्रभावित करों, शुल्कों और पथकरों से प्राप्त शु़द्ध राशि को राज्य और पंचायतों के बीच वितरण से संबंधित हों।
  2. पंचायतों को सौंपे जाने वाले करों, शुल्कों और पथकरों के निर्धारण से संबंधित हों।
  3.  राज्य की समेकित निधि से पंचायत की दी जाने वाली सहायता अनुदान से संबंधित हों।
  4. ऐसा कोई अन्य विषय जिसे राज्यपाल ने पंचायतों की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिए आयोग के सुपुर्द किया हों।

सं. अनुच्छेद           उपबंध 

1. 243          परिभाषाएँ

2. 243  । ग्राम सभा

3. 243   ठ पंचायतों का गठन

4. 243   ब् पंचायतों का संघटन

5. 243  क् स्थानों का आरक्षण

6. 243 म् पंचायतों का कार्यकाल

7. 243 थ् सदस्यता के लिए अयोग्यताएं

8. 243 ळ  पंचायतों की शक्तियाँ, और उत्तरदायित्व

9. 243 भ् कर लगाने की शक्तियाँ और पंचायत निधि

10. 243 प् वित्त आयोग

11. 243 श्र पंचायतों का लेखा परीक्षण

12. 243 ज्ञ पंचायतों के लिए चुनाव

13. 243 स् संघशासित प्रदेशों में अनुप्रयोग

14. 243 ड कुछ सुनिश्चित क्षेत्रों में लागू होने वाले भाग 

15. 243 छ उपस्थित विधियों और पंचायतों का बना रहना

16. 243 व् निर्वाचन मामलों में अदालतों द्वारा हस्तक्षेप पर प्रतिबंध


       सं.      स्तर       त्रिस्तरीय पंचायती राज्य संरचना          मुख्य अधिकारी                  निर्वाचन 
  1.     ग्राम स्तर         ग्राम पंचायत                                 प्रधान/सरपंच/मुखिया            प्रत्यक्ष
  2.     ब्लाक स्तर       क्षेत्र पंचायत                                  प्रमुख                                 अप्रत्यक्ष
  3.     जिला स्तर        जिला पंचायत                              अध्यक्ष                                 अप्रत्यक्ष

  
             
      सं.      स्तर             विभिन्न राज्यों में पंचायती संस्थायें 
  1.     एक स्तरीय                केरल, जम्मू कश्मीर, त्रिपुरा, मणिपुर, सिक्किम
  2.     द्विस्तरीय                   असम, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा, हरियाणा
  3.     त्रिस्तरीय                   उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश,                                                       पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात, गोवा
  4.     चार स्तरीय                पश्चिम बंगाल
  5.     जनजातीय परिषद      मेघालय, नागालैण्ड, मिजोरम। 

राज्य का विधान मंडल निम्न अधिकार रखता है -

  1. पंचायत को करों, पथकरों और शुल्कों को लगाने, संग्रहित करने और उसे विनियोजित करने का अधिकार देता है। 
  2. राज्य सरकार द्वारा प्रभारित और संग्रहित करों शुल्कों और पथकरों को पंचायतों को सौंपा जा सकता है।
  3. राज्य की समेकित निधि से पंचायतों को सहायता अनुदान का प्रावधान।
  4. पंचायतों के लिए भिन्न-भिन्न स्तर पर निधि कोष का गठन करेगा।

  • राज्य विधान मण्डल पंचायतों के लेखा खातों के रख-रखाव और उनकी परीक्षा से संबंधित व्यवस्था कर सकता है।
  • ग्यारहवीं अनुसूची के अन्तर्गत पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में 29 मदें है।

                 


                                                                 पंचायत  

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 एक स्तरीय            द्विस्तरीय              त्रिस्तरीय                चार स्तर          जनजातिय           परिषद

ग्राम पंचायत      1. ग्राम पंचायत       1. ग्राम पंचायत       1. ग्राम पंचायत

                        2. पंचायत समिति   2. पंचायत समित    2. अंचल पंचायत

                        3. जिला परिषद      3. आंचलिक परिषद

                                                     4. जिला परिषद