संघ शासित प्रदेशों का प्रशासन

भारतीय संविधान के भाग आठ में अनुच्छेद 239 से 241 में संघ शासित प्रदेशों के प्रशासन के बारे में उपबन्ध है।

  • सभी राज्य भारत की संघीय व्यवस्था के सदस्य हैं और वह केन्द्र के साथ शक्ति के विभाजन के सहभागी है तथा केन्द शासित प्रदेश वह क्षेत्र है जो केन्द्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होता है। इन प्रदेशों के प्रशासन को चलाने का दायित्व राष्ट्रपति को सौंपा गया है जो संसद द्वारा निर्मित नियमों प आधारित होता है।
  • ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1874 में कुछ अनुसूचित जिलों का गठन किया गया था। इस अनुसूचित जिलों को मुख्य आयुक्तीय क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा। 

वर्तमान समय में सात केन्द्रशासित प्रदेश है -

  1.  अंडमान निकोबार - 1956
  2.  दिल्ली - 1956, 1992 से “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली“
  3.  लक्षद्वीप - 1956
  4.  दादर एवं नागर हवेली - 1961
  5.  दमन व दीव - 1962
  6.  चंडीगढ़ - 1966
  7.  पुडुचेरी - फ्रांसीसियों से लिया गया क्षेत्र

सभी केन्द्रशासित प्रदेश एक ही प्रकार के है लेकिन उनकी प्रशासनिक पद्धति में समानता नहीं है। इन प्रदेशों का संचालन राष्ट्रपति एक प्रशासक के माध्यम से संचालित करता है।

  • राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल को राज्य से सटे केन्द्रशासित प्रदेश का प्रशासक नियुक्त कर सकता है।
  • संसद केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए तीनों सूची के विषयों पर कानून बना सकता है।
  • पांडिचेरी (1963) और दिल्ली (1992) में विधान सभा का गठन हुआ है जो राज्य सूची तथा समवर्ती सूची पर कानून बना सकती है।
  • संघशासित प्रदेशों में राष्ट्रपति को कानून बनाने की शक्ति है यदि विधान सभा पांडिचेरी और दिल्ली में विघटित हो गई है तो वहाँ राष्ट्रपति को कानून बनाने का अधिकार है।

दिल्ली के लिए विशेष प्रावधान -

 संविधान के 69वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 239 (क) तथा 239 (क,ख) 1 फरवरी 1992 से प्रवृत्त हुए। इन उपबंधों के आधार पर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 का अधिनियम किया गया। जिस पर दिल्ली संघ शासित प्रदेश से विधान सभा एवं मंत्रिपरिषद है।

  • संवैधानिक विफलता की स्थिति में राष्ट्रपति उस क्षेत्र में अपना शासन लागू कर सकता है। जो राष्ट्रपति के आपात काल अनुच्छेद 356 के समान है।
  • दिल्ली में विधान सभा की सदस्य संख्या 70 है जा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते है। दिल्ली सरकार को राज्य सूची व समवर्ती सूची के तीन विषयों को छोड़कर (जन आदेश या लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि) नियम बनाने का अधिकार है।
  • राष्ट्रपति मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है।


केन्द्रशासित प्रदेश     प्रशासन करने वाले अधिकारियों के नाम

1. दिल्ली लेफ्टिनेंट गर्वनर

                                           मुख्यमंत्री

                                          मंत्रिपरिषद

2. पांडिचेरी    लेफ्टिनेंट  

                                           मुख्यमंत्री

                                           मंत्रिपरिषद

3. चंडीगढ़   मुख्य आयुक्त

4. दादर व नगर   प्रशासक 

       हवेली

5. दमन व दीव   प्रशासक

6. लक्षद्वीप प्रशासक

7. अंडमान व निकोबार लेफ्टिनेंट गर्वनर 

        द्वीप समूह

  

संघ राज्य क्षेत्रों का उच्च न्यायालय

  उच्च न्यायालय                    संघ राज्य क्षेत्र

1. पंजाब तथा हरियाणा चण्डीगढ़

2. केरल उच्च न्यायालय लक्षद्वीप

3. कलकत्ता उच्च                   अंडमान तथा निकोबार 

     न्यायालय         द्वीप समूह 

4. मद्रास उच्च न्यायालय पांडिचेरी

5. बम्बई उच्च न्यायालय दमन और दीव तथा

          दादरा नागर हवेली

संघ राज्य क्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय -

  • संविधान के अनुच्छेद 241 के उपबंधों के अनुसार, संसद कानून द्वारा किसी संघ राज्य क्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय की स्ािापना कर सकती है। या किसी संघ राज्य क्षेत्र को किसी राज्य के उच्च न्यायालय की अधिकारिता के अधीन रख सकती है।
  • संसद ने 1966 में दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय की स्थापना की है। इस प्रकार का ऐसा एकमात्र केन्द्रशासित प्रदेश है।


महत्तवपूर्ण संसदीय नियम -

नियम 57 - इस नियम के तहत काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा होती है।

नियम 184 - इस नियम के तहत ऐसे लोक महत्व के विषयों पर चर्चा होती है जिन्हें टाला नहीं जा सकता। चर्चा के पश्चात मतदान की प्रावधान किया गया है।

नियम 193 - इस नियम के तहत अल्पकालिन विषयों प चर्चा होती है जिसके लिये किसी औपचारिक प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें चर्चा की अनुमती महासचिव से लेने और दो सदस्यों के अनुमादेन का प्रावधान है।